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hindi shayari

Ashutosh pandey
वो दुश्मन बनकर मुझे जीतने निकले
दोस्ती कर लेते तो मैं ख़ुद ही हार जाता
Ashutosh pandey
बड़ी अजीब है ये मोहब्बत 
वरना अभी उम्र ही क्या थी शायरी करने की
Ashutosh pandey
काग़ज़ के बेजान परिंदे भी उड़ते हैं जनाव
बस डोर सही हाथ में होनी चाहिए
Ashutosh pandey
बच्चों को पैर पर खड़ा करना था
पिता के घुटने इसी में जवाब दे गए
SONU SPAN
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल,कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा।//SPSONU
Ashutosh pandey
इस कदर कंजूसी  पे आमादा है ससुराल मेरी
 राज़ कि बात बताते हुए डर लगता है 
ऐसे कमरे में सुला देते हैं साले मुझको
 पाओं फैलाऊँ तो दीवार पर सर लगता है
Ashutosh pandey
कर गयी घर मेरा ख़ाली मेरे सो जाने के बाद
मुझको धड़का था कुछ होगा तेरे आने के बाद
मैंने दोनों बार थाने में लिखाई थी रपट 
एक तेरे आने से पहले एक तेरे जाने के बाद
Ashutosh pandey
मैं जिस हाल में हूँ ए मेरे सनम रहने दे 
चाक़ू मत दे मेरे हाथों में बस कलम रहने दे
मैं तो शायर हूँ मेरा दिल है बहुत ही नाज़ुक 
मैं तो पटाखे से ही मर जाउँगा बम रहने दे
Ashutosh pandey
दिल की कीमत आँकने वाला कोई ना था
रखे रखे अलमारी में टूट गया
Ashutosh pandey
बसों में बिकती हुई शय खरीद मत लेना 
कहीं ये सोचते रह जाओ के ज़िन्दगी ना रही
बस एक बार सूरमा डाला था इन आँखों में 
उसके बाद चरागों में रौशनी ना रही