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हास्य इस कदर कंजूसी पे आमादा है ससुराल मेरी राज़ कि बात बताते हुए डर लगता है ऐसे कमरे में सुला देते हैं साले मुझको पाओं फैलाऊँ तो दीवार पर सर लगता है
हास्य कर गयी घर मेरा ख़ाली मेरे सो जाने के बादमुझको धड़का था कुछ होगा तेरे आने के बादमैंने दोनों बार थाने में लिखाई थी रपट एक तेरे आने से पहले एक तेरे जाने के बाद
प्यार मैं जिस हाल में हूँ ए मेरे सनम रहने दे चाक़ू मत दे मेरे हाथों में बस कलम रहने देमैं तो शायर हूँ मेरा दिल है बहुत ही नाज़ुक मैं तो पटाखे से ही मर जाउँगा बम रहने दे
सोंच बसों में बिकती हुई शय खरीद मत लेना कहीं ये सोचते रह जाओ के ज़िन्दगी ना रहीबस एक बार सूरमा डाला था इन आँखों में उसके बाद चरागों में रौशनी ना रही