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hindi shayari

Ashutosh pandey
महबूब वादा करके भी ना आया दोस्तों 
ना जाने क्या क्या कर दिया हमने उसके प्यार में 
मुर्गे चुरा के लाए थे जो चार पॉपुलर 
दो आरज़ू में कट गये दो इंतज़ार में
Ashutosh pandey
तकदीर से बड़ा है मुकद्दर से लड़ा है
दुनिया कहती है चालाक बड़ा है
ख़ुद तीस का है और दुल्हन साठ बरस की
गिरती हुई दीवार के साए में खड़ा है
Ashutosh pandey
कपड़ों के आबोताब दिखाने में रह गया
खूबसूरतों को लुभाने मैं रह गया 
मुर्गे कि टांग खा गये बारात में सारे लोग
मैं दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गया
Ashutosh pandey
राज़ जो कुछ हो बता भी देना 
हाथ जब उनसे मिलाना तो दबा भी देना
Ashutosh pandey
दिन ढल गया रात गुजरने की आस में
 सूरज नदी में डूब गया हम गिलास में
Ashutosh pandey
ग़ुरबत से बाप इस कदर मजबूर हो गया 
बेटा किताब छोड़ के मजदूर हो गया
Ashutosh pandey
बच्चे किसी ग़रीब के आपस में में लड़ गये
सिक्का ज़मीं पे वो गिरा के अच्छा नहीं किया
Ashutosh pandey
तुम मेरे अलावा दो चार सनम रखना
मासूम बने रहना आँखों को नम रखना 
ये कहकर मुझे बीवी ने घर से निकाला 
जब काट सको जेबें तब घर में कदम रखना
Ashutosh pandey
वो आए और रखे ना कोई भी फूल मेरी कब्र पर
हम तो वैसे ही गमे हसरतों का बोझ लिए जा रहे हैं
Ashutosh pandey
कैसे कटी है रात कोई जानता नहीं 
मेरे दिल की ये बात कोई जानता नहीं
किसके खून से मिली थी उसे ज़िन्दगी
उस खून की क्या थी ज़ात कोई जानता नहीं