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हास्य महबूब वादा करके भी ना आया दोस्तों ना जाने क्या क्या कर दिया हमने उसके प्यार में मुर्गे चुरा के लाए थे जो चार पॉपुलर दो आरज़ू में कट गये दो इंतज़ार में
हास्य तकदीर से बड़ा है मुकद्दर से लड़ा हैदुनिया कहती है चालाक बड़ा हैख़ुद तीस का है और दुल्हन साठ बरस कीगिरती हुई दीवार के साए में खड़ा है
हास्य कपड़ों के आबोताब दिखाने में रह गयाखूबसूरतों को लुभाने मैं रह गया मुर्गे कि टांग खा गये बारात में सारे लोगमैं दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गया
हास्य तुम मेरे अलावा दो चार सनम रखनामासूम बने रहना आँखों को नम रखना ये कहकर मुझे बीवी ने घर से निकाला जब काट सको जेबें तब घर में कदम रखना
जातिवाद कैसे कटी है रात कोई जानता नहीं मेरे दिल की ये बात कोई जानता नहींकिसके खून से मिली थी उसे ज़िन्दगीउस खून की क्या थी ज़ात कोई जानता नहीं